कौंसिल चुनाव की तैयारिया शुरू, शहरी कांग्रेस 3 दलों में लड सकती है नगर कौंसिल चुनाव

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जगदीश सिंह कुराली :जैसे जैसे कौंसिल चुनाव के 5 साल पुरे होने का समय करीब आ रहा है वही चुनाव लडने व् लडाने के इच्छुक राजनीतिक नेताओ ने अपनी शतरंज बिछानी शुरू कर दी। इसी मद्देनजर स्थानीय शहर में कौंसिल चुनाव को लेकर हर राजनीतिक पार्टीयो के नेताओ ने जोड तोड करना शुरू कर दिया है कुछ राजनीती के माहिरों को मानना है कि जिस पार्टी की सरकार सत्ता में होती है उस पार्टी को कोई न कोई फायदा हर चुनाव में जरूर मिलता है। इसी लिये शहर के अधिकतर कांग्रेसी वर्कर इस बार कौंसिल चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लडने की इच्छा जाहिर कर रहे है वही शिअद,बीजेपी एवं आम आदमी पार्टी की और से भी कौंसिल चुनाव लडने के लिए सही उमीदवारो का चयन किया जा रहा है ।

शहर में 3 दलों में बटी है कांग्रेस
शहर में कांग्रेस पार्टी 3 दलों में बटी हुई है जिस में एक दल पूर्व कैबनेट मंत्री जगमोहन सिंह कंग का है दूसरा दल शहर के सीनियर टकसाली कांग्रेसी नेता जिनमे पंजाब सचिव राकेश कालिया,पूर्व नगर कौंसिल प्रधान जसविंदर सिंह गोल्डी,नौजवान प्रदेश चेयरमैन कमलजीत चावला आदि का है तीसरा दल मुख्यमंत्री पंजाब की पूर्व ओएसडी मैडम लखविंदर कौर गरचा का है इन तीनो ही दलों की और से शहर के हर वार्ड में अपने अपने समर्थको को कौंसिल चुनाव में उतारने के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है पर 3 दलों में बाटी कांग्रेस को आपसी खींचातानी का नुक्सान होता भी दिखाई देता है।

गिल के नेतृत्व में अकाली दल का चुनाव लडना लगभग तय
तीनो दलों में बटी कांग्रेस को हारने के लिए कौंसिल पर सत्ताधारी अकाली नेताओ ने भी कमर कसी हुई है। जो हल्का खरड इंचार्ज राणा रंजीत सिंह गिल के दिशा निर्देश से इस बार शिअद की टिकट पर चुनाव लडने के लिए लगभग तय माने जा रहे है शहर में अकाली दल के पास मजबूत उमीदवार है पर नगर कौंसिल में काबिज होने के कारण लोग इनकी कारगुजारी जानने के बाद ही वोट करने की इच्छा जता सकते है । वही शहर में हो रहे नाजायज कब्जे, सीवरेज की खस्ता हालत,बेसहारा पशुओ की समस्या,स्वच्छता की पोल खोलती तस्वीरें आदि मामले भी इनको बैकफुट पर धकेल सकते है ।

बीजेपी बिना मजुबत नेता के फिर उत्तर सकती है कौंसिल चुनाव में
बेशक हल्का खरड से बीजेपी का कोई भी बडा नेता हल्का खरड के वर्करों के साथ लोकल स्तर पर दिखाई नहीं देता। जिस कारण बीजेपी हल्का खरड में सदा पिछडी हुई ही नजर आई। शहर के 17 वार्डो में से तकरीबन 6 वार्डो में बीजेपी ने पिछली बार अपने उमीदवार उतारे थे जिनमे से 2 उमीदवार राणा भानु प्रताप व् लखबीर सिंह लकी अपने अच्छे रसूख व् समाजसेवक होने के कारण विजेता बने थे बाकि उमीदवारो की लगभग जमानते भी जपत हो गयी थी एक उमीदवार को तो 1200 के करीब वोट में से केवल 23 के करीब वोट ही मिले थे पर राजीनीति के माहिरों का मानना है कि बीजेपी के पास लोकल कादावर नेता न होने के कारण बीजेपी इस चुनाव में भी बैकफुट पर ही नजर आती दिखाई देती है पर अगर बीजेपी अच्छे समाजसेवियों को टिकट देती है तो परिणाम बीजेपी के हक में भी जा सकते है।

‘आप’ का ढाँचा नहीं बनने से आप वर्कर लड सकते है चुनाव आजाद
शहर में आम आदमी पार्टी का ढाँचा ही नहीं बना और कई वर्कर पार्टी से दुरी बना बैठे है पर कही न कही अच्छे उमीदवार कौंसिल चुनाव में अपने रसूक के कारण चुनाव लडने की तैयारी कर रहे है। इस लिए यह भी हो सकता है कि आम आदमी पार्टी के वर्कर इस बार पार्टी निशान की वजाये आजाद तोर पर कौंसिल के चुनाव में हाथ आजमाते हुए नजर आये । यहाँ ये भी बताना बनता है कि आम आदमी पार्टी कि शहर में बनी इकाई लगभग खत्म हो चुकी है और इस वक्त गिने चुने लोग ही पार्टी के साथ बचे हुए है जिस करना पार्टी फिलहाल बैकफुट पर दिखाई देती है।

कौंसिल चुनाव दिसंबर या मार्च में होने की संभावना
25 फरवरी 2014 को हुए कौंसिल चुनाव के बाद राजनीती के माहिर ये भी कयास लगा रहे है कि कौंसिल चुनाव दिसंबर के अंत में या मार्च में बच्चो की परीक्षा के बाद कभी भी हो सकते है ।

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