चिंता का विषय, बच्चो के होते हुए बजुर्ग हो रहे हैं लवारिस

पीडित हरबंस कौर को ‘प्रभ आसरा’ में दाखिल करते संस्था मुखी शमशेर सिंह व् राजिंदर कौर पडियाला।
जगदीश सिंह कुराली : एक मनुष्य जब तक तंदरुस्त है काम करता है तब तक वह घर का हिसा (सदस्य) होता है परन्तु जब वह किसी कारण से वह बीमार हो जाये अथवा काम करने के योग्य ना रहे तो उस सदस्य को परिवार की तरफ से बोझ समझा जाता है । जो कि एक घटिया और गैर जिम्मेदराना सोच है । ऐसी ही घटना के साथ पीडित है हरबंस कौर जिसकी उम्र 70 साल है जो अपनो की तरफ से नजर अंदाज कर दी गई, भूखे प्यासे, हालात में हरबंस कौर ऐसे बन गयी कि बैठने की शक्ति भी खो बैठी। ऐसी दयनीय हालत देख कर गाँव की पंचायत ने पुलिस को जानकारी दी और माता ‘प्रभ आसरा’ संस्था में पहुँच गई । हरबंस कौर के जीवन साथी और माँ बाप की मृत्यु हो चुकी हैं। माता के बच्चे है लेकिन कोई उसकी देखभाल करने के लिए तैयार नहीं है । दाखिले के समय हरबंस कौर की हालत बहुत गंभीर थी । संस्था की तरफ से इसकी दयनीय हालत को देखते हुए माता का तुरंत अस्पताल ले जाया गया। भगवान की कृपा से और ‘प्रभ आसरा’ परिवार के प्यार, सेवा संभाल के साथ उन की मानसिक और शारीरिक स्वस्थ में सुधार शुरू हो गया । सरकार को चाहिए कि इनकी सेवा संभाल के लिए औलाद प्रति ऐसे कानून बनाए जिस से नागरिक दर दर की ठोकरे खाने से बच सकें।